मनु-पुत्रः मनु के वंशज…
मनु के वंशज !
आदि पुरुष सृष्टि के,
अनंत शक्ति के स्रोत तुम हो।
इकाई हो तुम पूर्ण,
स्वयंभू,
सक्षम सब विध,
रहो न पराश्रित।
समाहित हैं तुममें,
समग्र शक्तियाँ,
संभावनाएँ,
जन्मना।
फिर असंभव कैसे,
पहुँचना चरम शिखर तक,
उपलब्धियों के ?
पूरी होगी कामना,
डग तो भरो।
कमर तो कसो,
मानव !
करती अंतःचेतना-
प्रतिनिधित्व,
दैवीय ताकतों का।
प्रसुप्त रही तो,
होगा विस्मृत आत्म-गौरव।
जाग्रतावस्था में-
प्रस्फुटित होंगे स्वतः,
सद्गुण नाना।
बढे़ंगे कदम खुद ब खुद,
लक्ष्य की ओर।
जागो, उठो,
आलस्य त्यागो।
लक्ष्य संधानो।
पहचानो शक्तियाँ गुह्य,
भीतर की।
न डरो, न टरो।
बस बढ़ते चलो,
मानव !
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )