Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2023 · 1 min read

*मनुष्य शरीर*

*पुरुष का वह शरीर कहा गया है इससे बढ़कर अशुद्ध ,पराधीन ,दुखमय और अस्थिर दूसरी कोई वस्तु नहीं है।शरीर ही सब विपत्तियों का मूल कारण है उससे युक्त हुआ पुरुष अपने कर्म के अनुसार सुखी दुःखी और मूढ़ होता है।जैसे पानी से सींचा हुआ खेत अंकुर उत्पन्न करता है,उसी प्रकार अज्ञान से आप्लावित हुआ कर्म नूतन शरीर को जन्म देता है।ये शरीर अत्यंत दुखों के आलय माने जाते हैं।इनकी मृत्यु अनिवार्य होती है ।भूतकाल में कितने ही शरीर नष्ट हो गए और भविष्य काल में सहस्त्रों शरीर आने वाले हैं,वे सब आ – आकर जब जीर्ण – शीर्ण हो जाते हैं; तब पुरुष उन्हें छोड़ देता है।कोई भी जीवात्मा किसी भी शरीर में अनंत काल तक रहने का अवसर नहीं पाता । यहां स्त्रियों ,पुत्रों और बंधु बांधवों से जो मिलन होता है,वह पथिकों के समागम के ही समान है।जैसे महासागर में एक काष्ठ कहीं से और दूसरे काष्ठ के साथ कहीं थोड़ी देर के लिए मिल जाते हैं और मिलकर फिर बिछड़ जाते हैं।उसी प्रकार प्राणियों का यह समागम भी संयोग – वियोग से युक्त है। ब्रम्हा जी से लेकर स्थावर प्राणियों तक सभी जीव पशु कहे गए हैं। उन सभी पशुओं के लिए ही यह दृष्टांत या दर्शन शास्त्र कहा गया है ।
यह जीव पाशों में बंधता और सुख दुःख भोगता है,इसलिए “पशु” कहलाता है।यह ईश्वर की लीला का साधन भूत है ,ऐसा ज्ञानी महात्मा कहते हैं।
वायवीय संहिता
शिव पुराण🙏🏼🔔🔱🌹🔔🔱🌹🔔🔱🌹

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 406 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
होश संभालता अकेला प्राण
होश संभालता अकेला प्राण
©️ दामिनी नारायण सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
बाबर के वंशज
बाबर के वंशज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
कृतघ्न व्यक्ति आप के सत्कर्म को अपकर्म में बदलता रहेगा और आप
कृतघ्न व्यक्ति आप के सत्कर्म को अपकर्म में बदलता रहेगा और आप
Sanjay ' शून्य'
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
"वक्त-वक्त की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
*बताओं जरा (मुक्तक)*
*बताओं जरा (मुक्तक)*
Rituraj shivem verma
अपराजिता
अपराजिता
Shashi Mahajan
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
Manoj Mahato
युवा दिवस विवेकानंद जयंती
युवा दिवस विवेकानंद जयंती
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यॅू तो,
यॅू तो,
TAMANNA BILASPURI
मनमानी करते नेता
मनमानी करते नेता
Chitra Bisht
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
Shweta Soni
जीवन संघर्ष
जीवन संघर्ष
Omee Bhargava
ये जीवन जीने का मूल मंत्र कभी जोड़ना कभी घटाना ,कभी गुणा भाग
ये जीवन जीने का मूल मंत्र कभी जोड़ना कभी घटाना ,कभी गुणा भाग
Shashi kala vyas
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
Dheeru bhai berang
मौत के डर से सहमी-सहमी
मौत के डर से सहमी-सहमी
VINOD CHAUHAN
मुद्दा मंदिर का
मुद्दा मंदिर का
जय लगन कुमार हैप्पी
दिल में बहुत रखते हो जी
दिल में बहुत रखते हो जी
Suryakant Dwivedi
2847.*पूर्णिका*
2847.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी में आप जो शौक पालते है उसी प्रतिभा से आप जीवन में इतन
जिंदगी में आप जो शौक पालते है उसी प्रतिभा से आप जीवन में इतन
Rj Anand Prajapati
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
शेखर सिंह
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
वक़्त हमने
वक़्त हमने
Dr fauzia Naseem shad
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
Atul "Krishn"
...
...
*प्रणय*
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
Dr. Vaishali Verma
Loading...