Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Feb 2022 · 1 min read

मानव जीवन

मनुष्य जीवित रहने के लिए संघर्ष करता है ,अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कमाता है, भोग विलास के लिए संपत्ति जमा करता है, और अपने कर्मों की गति से
दुःख – सुख भोग कर अवसान होता है।

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
तेरा - मेरा
तेरा - मेरा
Ramswaroop Dinkar
2978.*पूर्णिका*
2978.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
यादों की किताब पर खिताब
यादों की किताब पर खिताब
Mahender Singh
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
पंकज कुमार कर्ण
यादों की सौगात
यादों की सौगात
RAKESH RAKESH
वाणी
वाणी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आप वही करें जिससे आपको प्रसन्नता मिलती है।
आप वही करें जिससे आपको प्रसन्नता मिलती है।
लक्ष्मी सिंह
अहिल्या
अहिल्या
अनूप अम्बर
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – भातृ वध – 05
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – भातृ वध – 05
Kirti Aphale
#शेर-
#शेर-
*प्रणय प्रभात*
*An Awakening*
*An Awakening*
Poonam Matia
हड़ताल
हड़ताल
नेताम आर सी
ज़िंदगी की उलझन;
ज़िंदगी की उलझन;
शोभा कुमारी
सर-ए-बाजार पीते हो...
सर-ए-बाजार पीते हो...
आकाश महेशपुरी
To my dear Window!!
To my dear Window!!
Rachana
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
Shweta Soni
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
Manoj Mahato
*जूते चोरी होने का दुख (हास्य व्यंग्य)*
*जूते चोरी होने का दुख (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
चन्द ख्वाब
चन्द ख्वाब
Kshma Urmila
मां
मां
Sûrëkhâ
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
पूर्वार्थ
किसी का यकीन
किसी का यकीन
Dr fauzia Naseem shad
— मैं सैनिक हूँ —
— मैं सैनिक हूँ —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Trying to look good.....
Trying to look good.....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...