मनुष्य और जानवर पेज ०९
मनुष्य को जन्म से लेकर मरने तक सहयोग की आवश्यकता पड़ती है।वह बिना किसी सहयोग से सफल व्यक्ति नही बन सकता है। जहां तक मनुष्य को सफल बनाने में जानवरों का भी सहयोग प्राप्त हुआ है। जानवर और मनुष्य में फर्क केवल तन का है।वह सब कुछ करता है जो एक मनुष्य करता है। पर! जानवर में ईश्वर ने बहुत शक्ति दे रखी है। जबकि मनुष्य शक्ति को शक्ति जगाना पड़ती है। जानवरो में पहले से ही पाईं जाती है।यह शक्ति ईश्वर के द्वारा पृदान की हुई होती है। जानवरों को ईश्वर एक न एक शक्ति दे कर ही भेजता है। जैसे कुत्ते की नाक में विशेष शक्ति होती है।और गिदृ की आंख में शक्ति होती है।जो कि अपने आहार को सौ योजन दूर से देख लेता है।और शेर के नाखूनों में शक्ति होती है।शेर शारिरिक रूप से बलवान नही होता है। उसके नाखूनों में एक विशेष प्रकार का जहर होता है।जो कि बड़े से बड़े जानवर को मार सकता है।अगर वह हाथी को अपने पंजे मार दे तो हाथी भी बेहोश हो कर जमीन पर गिर पड़ता है।यह ईश्वर द्वारा पृदान की हुई शक्ति होती है।