मनुष्य और जानवर पेज ०७
आज हम जानवरो का तिरस्कार नहीं कर सकते हैं। कोई भी जानवर दुख नही भोगना नही चाहता है। सभी जानवर सुख चाहते हैं। उनके शरीर को कष्ट नहीं होना चाहिए।यही मानसिकता बनाकर सब जीना चाहते हैं। सभी जानवर मनुष्य का हित चाहते हैं। लेकिन मनुष्य किसी भी जानवर का हित नही चाहता है।जब तक उस जानवर से सर्वार्थ जुड़ा है तभी तक वह उसका ध्यान रखता है।जब जानवर मनुष्य का हमेशा ध्यान रखता है। चाहें वह पालतू हो या नही।बस उसे प्यार चाहिए। कुछ जीव जंतुओं के बारे में मनुष्य को पता नहीं रहता है।कि वह जीव जंतुओं उसकी किस पृकार सहायता पहुंचाते रहते हैं।जब मनुष्य खेती का व्यवसाय करता है तब छोटे छोटे जीव मिट्टी को उपजाऊ बनाते रहते हैं।यह बात मनुष्य को पता नहीं होती है।और मनुष्य अनजाने पन में उन्हें मार भी देता है। क्यों कि मनुष्य एक ऐसा जीव है।जो केवल अपने सर्वार्थ को ही सत्य समझता रहता है।