मनुवाद की आंधी
आंधी आई आंधी आई अंबेडकरवाद की आंधी आई
सत्ता चाहे जिसकी हो मनुवाद रुकता नहीं
मनुवाद सोच से है इसलिए शायद मिटा नहीं
कलम की ताकत से नायक ने मनुवाद को काटा
पढ़ लिखकर बैठे ऊंचे ओदे पर मनुवाद को न काटा
दिन व दिन बढ़ता जा रहा है यह जहरीला मनुवाद का कांटा
कलम की ताकत को तुम समझो नहीं तो होंगे बारा बाटा
कहे “आलोक” पढ़ो पढ़ाओ और आगे बढ़ो कुछ नहीं हैं ये कांटा
कलम की ताकत तो तुम जानो जिससे ये मनुवाद घबराता
जय भीम बोलूंगा में तो तुम बोलोगे परवाह नही
नायक के त्याग का ये मंजर यूं ऐसे गंवाना नहीं
आलोक वैद आज़ाद