मनुआँ काला, भैंस-सा
गंगाजल के बीच में, तन धोबें बन भैंस |
मनुआँ काला, भैंस-सा,जे अच्छे या भैंस ||
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बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक”कृतियों के प्रणेता
जागा हिंदुस्तान चाहिए कृति की पंक्तियाँ
28-06-2017
● उक्त पंक्तियाँ जागा हिंदुस्तान चाहिए काव्य संग्रह में भी पढ़ी जा सकती हैं।
● “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।