मनांतर🙏
मनांतर🙏
मन मनांतर से ही बनता
रोज नूतन जटिल समस्या
आ खड़ा हो जाता सामने
नाश विनाश भयंकर पल
टूटता छूटता जीवन संग
बिखर जाता नगर व गांव
आन पर होता है सर्वनाश
दिल धड़कता सकल ज़हान
कस्में वादें भूल टूट जाता है
प्रबल अहंग जब हो जाता है
समस्या तो आनी जानी है
प्रतिपल बनती नयी कहानी
विचारों का मेल तभी है जोड़
घमंड से कभी न सुलह हुआ
प्रकृति में चलता ना मनमानी
जग जीवन की यही कहानी है
टी.पी. तरुण