मनहरण घनाक्षरी
#मनहरण_घणाक्षरी छंद
प्रथम प्रयास
आसमां में काले घन, उमड़ चले हैं तन
दामिनी के संग मिल, नगाड़े बजात हैं।
मेघ देख विरहन, व्याकुल हुआ है मन,
भांति-भांति काली रात,हिया घबरात है।
बच्चे- बूढ़े,प्रेमी मन,वर्षा में मस्त यौवन ,
नाचें मदहोश तन, फूले न समात हैं।
लगें वसुधा गगन,का ज्यूं हो रहा मिलन
“नीलम” हुआ गगन, चुनर उढात है।।
नीलम शर्मा ✍️