मनहरण-घनाक्षरी
घाव में नमक भरें,
नहीं साथ उसे रखें,
भले नैन निर्झर,
झरें जल क्षार है।
भावना हैं कोरी-कोरी
बातें करता चटोरी,
यार प्यार सदा से दो
धारी तलवार है
रात जागें भोर सोते,
पड़े इन्हें प्रीति टोटे,
ठुकरा लखन बैर
गए तभी हार है
भागे चाहे इत-उत,
उतरेगा सिर भूत,
सुबह के भूले कंत,
शाम आए द्वार है।
संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर (राज)