मनहरण घनाक्षरी
🙏
०००
सिंह की सवारी कर , आ जा जगदम्बे मात ,
टेरें तेरे लाल मात , दरस की आस है ।
हम तो भवानी भोले , भाले तेरे लाल हैं री ,
तरस रहे हैं नैना , जगी नेह प्यास है ।।
छवि तो दिखा दे थोड़ी, प्यास तो बुझा दे मैया ,
आचल की छैंया बस, पायें अभिलाष है ।
‘ज्योति’ ने पुकारी आजा , दरश करा जा मात ,
चरण पड़े हैं देख, सब तेरे दास हैं ।।
०
-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा !
🌻🌻🌻