मनहरण घनाक्षरी ” मेरे राम “
ठाकुर हे राम मेरे, ठकुरानी सीता प्यारी।
इन पर जीवन लुटाया मैंने सारा है ।।
भजता हूं इनको ही, पूजता हूं इनको ही ।
इन पर ही तो मैने सब कुछ वारा है ।।
भक्तों को दुलार करें, सबको निहाल करें ।
राम जी के दास को तो राम ही सहारा है।।
सांचा करतार है ये, सांची सरकार है ये।
दरबार “कान्हा” सारे जग से ही न्यारा है ।।
?सर्वाधिकार सुरक्षित?
कान्हा सोनी…….. ✍