मनहरण घनाक्षरी ( नागपंचमी)-गुरूसक्सेना
मनहरण दंडक
31वर्ण 16/15 पर यति।अंत में गुरू अनिवार्य ।
8-8-8-7 पर यति उत्तम ।
नागपंचमी
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नागपंचमी है आज,धर्म का सजा के साज,
नाग देवता को भक्ति, भाव से मनाइये।
कहिएगा प्रभु जहाँ, चाहें वहाँ डोलें आप,
भूल से कभी हमारे, घर मत आइए।
नागदेव मान जाएँ, प्रान आपके बचाएँ,
डसें नहीं अब उन्हें, दूध तो पिलाइये।
दूध पिलाने को यदि, नागदेव न मिलें तो,
काम किसी पास वाले, नेता से चलाइये।