मनहरण घनाक्षरी छंद
सिंह पे सवार आई
प्रेम की फुहार लाई
गीतों की आज माँ को
चुनरी चढ़ाइए।
हाथों में त्रिशूल लिए
शंख चक्र फूल लिए
आई माता द्वारे मेरे
मस्तक नवाइये।
पांवों में नमन करूँ
मन में वंदन करूँ
छंदों का आज माँ को
हार पहनाइए।
गीत माता तेरे गाउँ
रस गुण से सजाऊँ
भावों का आज माँ को
भोग भी लगाइए।
माँ शैल ब्रह्मचारिणी
माँ स्कंद कात्यायनी
सिद्धि महागौरी माँ को
मुक्तक चढ़ाइए।
कालरात्रि कुष्मांडा माँ
ध्याऊँ चन्द्रघण्टा माँ
कविता से आज माँ का
कलश सजाइये।
जानूं न पूजा की विधी
माँ की भक्ति मेरी निधी
अंकनी से भवानी का
सिंगार कराइये।
नव रूप में आई माँ
आशीष भर लाई माँ
भक्ति की जोत मन में
अखंड जलाइये।
रचयिता–
डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’