मनहरण घनाक्षरी (कोरोना)
मनहरण घनाक्षरी 01
कोरोना की महामारी ,नये युग की बीमारी
पूरी दुनिया में फैली,गर्व मिटाने आई ।
वैज्ञानिक अहं भाव,बुद्धिवादी सभी दाव
परेशान क्या इलाज,मिली नहीं दवाई ।
अहंकार हुआ चूर,मानव था मजबूर
भारतीय रीति नीति,सबने अपनाई।
नमस्ते का प्रचलन,जग में बढ़ा चलन
प्रकृतिखेलअजीब,आध्यात्मिकता छाई ।
02
भूल गए खान पान,मांसाहारी है हैरान
शाकाहारी भोजन ने,प्रतिरक्षा बढ़ाई ।
दुनिया में हाहाकार, बंद धंधा व बाजार
लौट पड़े निज धाम, छोड़ छाड़ कमाई ।
लोभ नहीं प्यारी जान,जानते सब इंसान
स्वदेश प्रेम जुड़ाव,कोरोना की भलाई ।
घरबंदी का आदेश,अपनाते कई देश
दो गज दूरी मास्क,कोरोना ने सिखाई ।
राजेश कौरव सुमित्र
गाड़रवारा, नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश