मनहरण घनाक्षरी / कैसी सरकार है.
मेरा भी कहा न माने, तेरा भी कहा न माने,
किसी का कहा न माने, कैसी सरकार है
सुने ये गरीब की ना, सुने ये अमीर की ही,
सुने नहीं बात कोई, जीना दुशवार है
बाजारों के भाव कभी, गाड़ियों का भाडा देखूं.
देखूँ फौज बेकारों की, लम्बी ये कतार है
उस पर भी ये कर, नित-नित नये-नए,
और नए-नए कर, ले के ये तैयार है ||
~ अशोक कुमार रक्ताले.