मनहरणघनाक्षरी
मनहरणघनाक्षरी
विरह की रैन बीती ,
प्रेम बाजी मेरी जीती,
सांवरा- सलोना पिया,
गले से लगाता है।
हृदय में लड्डू फूटे,
भावना की धारा छूटे,
बाहुपाश जकड़ के,
प्रीत को जताता है।
नील गगन के तले ,
चाहे कोई भूने -जले,
लोक -लाज तज कर,
दिल में समाता है।
कोमल सुंदर नारी ,
उस की है प्राण प्यारी,
आलिंगन में लेकर ,
झूम- झूम जाता है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश