मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
कर्मों के अनुसार ही, भोगे वो परिणाम ।
काम क्रोध मद लोभ में, भूल गया इंसान –
हर अभिमानी की यहाँ, निश्चित होती शाम ।
सुशील सरना / 7-3-24
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
कर्मों के अनुसार ही, भोगे वो परिणाम ।
काम क्रोध मद लोभ में, भूल गया इंसान –
हर अभिमानी की यहाँ, निश्चित होती शाम ।
सुशील सरना / 7-3-24