*मनमोहन अब तो आ जाओ (भक्ति गीतिका)*
मनमोहन अब तो आ जाओ (भक्ति गीतिका)
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1
कब तक छिपे रहोगे मनमोहन अब तो आ जाओ
रूप-सुधा अपनी जो सुध-बुध खो देती दिखलाओ
2
तन की सैर अभी तक की है मैंने जनम बिताया
तन के भीतर छिपे हुए तुम जो पहचान कराओ
3
सिर्फ तुम्हारी कृपा मिले तो हम तुमको पा जाऍं
कृपासिंधु इस भवसागर से हमको पार लगाओ
4
पग-पग पर इस जग के आकर्षण व्यवधान कराते
हमें कृष्ण इस जग की माया में मत कभी लुभाओ
5
कितनी बार जन्म ले-लेकर फिर जग में लौटा हूॅं
जन्म-जन्म के बंधन अब तो हे केशव खुलवाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451