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13 Sep 2022 · 1 min read

मनमीत

मन मीत
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कौन अपना कौन पराया
कौन अपना मीत है,
दुविधा में है आज का मानव
किसकी किससे प्रीति है।
रिश्ते नाते बेवजह सब
जो न समझे मेरे मन को,
कैसे उसको मीत कहूं
जो शूल चुभाता है दिल को।
मीत उसे ही कह सकता हूं
जो मुझसे अपनी प्रीति निभाये,
बिना कहे मेरे मन को पढ़ ले
केवल वो ही मन मीत मेरा,
सुख दुख में जो साथ निभाए
वो ही सच्चा मन मीत कहाए।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 85 Views
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