((( मनमानी )))
ये तेरी मोहब्बत की कैसी मनमानी है,
संग तेरा है फिर,क्यों आँख में पानी है
इतनी दूर अपने साथ ले आया इश्क़ में,,
अब कहता हैं,ये तेरी ही नादानी है,,
सब हँसते हैं आज मेरे हालात पे,,
क्या सच्चे मोहब्बत की यही कहानी है,,
क्यों तेरे इश्क़ में सब फ़ना कर दिया मैंने,,
यही सोच के, मुझे हो रही हैरानी है,,
अपनी सारी खुशियाँ को मार तुझे वक़्त
दिया है,,
और तुम कहते हो तेरी क्या यही कुर्बानी है,,
मेरे दर्द में कभी ना आया तू संभालने,,
दर्द में और ज़ख्म देना ,तेरी आदत पुरानी है