“मनभावन मधुमास”
आया मधुमास उमंग लेकर,
रसभीनी शहद आया मकरंद लेकर,
बेल मंजरी खिल खिल जाए,
हवा सुगंधित फूलो को महकाए।
सुमन हर्षित हुए चमन में,
पल्लवित होकर लदी लताएं।
देखो मधुमास आया
हर्ष और उमंग लेकर।
मन मयूर नाचे मन-मन मे,
पीत सरसों खिले खेतन में।
कलियों में मुस्कान छाया,
देखो कैसा अल्हड मास आया।
खिले फूल,लदे मंजरी ,अमराई,
जैसे गुंजित हो शहनाई।
हर्षित युगल मन हुआ प्रेम बसंती,
आया प्रीतम का संदेश बसंती।
सजी बसंती मचल रही,
ओढ़े चुनर पीत बसंती।
भौरे ऐसे घुमड़ रहे है पीकर मकरंद,
टेसू पलास ,चम्पा बेला के संग।
बगिया सजी रंगो के संग,
प्रीत रंगे देखो सात रंगों के संग।
रंग और गुलाल उड़े प्रीतम के संग,
भीगे मेरी चुनरी भीगे मेरा अंग।
बढ़ता मन अनुराग, मधुमास में जीकर,
मन से हटा विषाद ,छटा नैनों से पीकर।
मन रहा चहुँ ओर उल्लास,
देखो आया मनभावन मधुमास।।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️