*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
05/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
जिसने जितना वक्त दिया, धन्यवाद करते चलो, यही सही सिद्धांत।
पीछे मुड़ जिसने देखा, आगे जा सकता नहीं, कहता है वेदांत।।
उदाहरण देखे हमने, कभी नहीं आगे बढ़ा, रहा सदा उद्भ्रांत।
यहीं रुको मैं चलता हूँ, आगे जाना है मुझे, लिखना नव वृत्तांत।।
ऊर्जा रूपांतरित किया, तुम कुछ थे चलने लगे, चले कभी कुछ दूर।
चुम्बकीय आकर्षण था, टूटा भ्रम जो था वृथा, मदमर्दन कर चूर।।
कब तक कोई साथ रहे, अपना भी सामर्थ्य हो, उड़ जाता कर्पूर।
अनुबंधित हूँ कहीं नहीं, भूल गये तैयारियां, अब क्या होगा हूर।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)