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27 Nov 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
27/11/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

लिखने वाले लिखकर ही, अपनी बातें कह गये, पढ़ते इसको नित्य।
उन्नत जीवन जो करता, हितकारी जो जीव का, वही बना साहित्य।।
विविध ज्ञान के क्षेत्र यहाँ, बढ़े लिखे जो ध्यान दे, पाते हैं पांडित्य।।
जो नियमित स्वाध्याय करे, ज्ञान मान में वृद्धि हो, बने ज्ञान आदित्य।।

वाचन प्रभाव पल भर का, सुनकर होता खत्म है, ग्रंथ प्रभाव युगीन।
जो सदैव लिखते पढ़ते, बुद्धि तीक्ष्ण उनकी रहे, कभी न हो श्रीहीन।।
बातें झूठी हो सकती, पुस्तक सदैव सत्य है, जाँच देख प्राचीन।
यही प्रमाणिकता देते, न्यायालय चौपाल तक, हर युग रहे नवीन।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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