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19 Oct 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
19/10/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

कोई आये या जाये, जोड़े तोड़े भी कई, करे मार्ग अवरूद्ध।
नहीं भूलना लक्ष्य कभी, चलना है आगे सदा, बनकर ज्ञानी बुद्ध।।
कारण अनगिन आयेंगे, खीचेंगे सब पाँव को, बिल्कुल मत होना क्रुद्ध।
शांतचित्त ही रहना है, निर्विकार चलना तुम्हें, रखकर मन को शुद्ध।।

सभी लक्ष्य भटकाने को, आयेंगे भी सामने, लेकर कई उपाय।
साहस संबल देने को, जो भी आये ऐ पथिक, वह तेरा समुदाय।।
शेष सभी हैं पथ कंटक, इनसे बच चलना सजग, स्वार्थी मन व्यवसाय।
दृढ़तापूर्वक बढ़ना है, तब ही मिलता लक्ष्य है, हासिल करो निकाय।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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