*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
28/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
आशाओं पर पंख लगे, आसमान छूने चले, तमगे मिले हजार।
सारी दुनिया देख रही, दमक रहा है चेहरा, बढ़े हौसले यार।।
अनुभव ने बाजी मारी, हँसता सफलीभूत हो, लाये छीन बहार।
इन साँसों में दौड़ रहा, संकल्पों की चौकसी, दिवस घड़ी शुभ वार।।
एक लक्ष्य आगे बढ़ना, पीछे का पीछा नहीं, कभी करो तुम मित्र।
जब तक रहे निरंतरता, आशाओं पर पंख है, रहते भाव पवित्र।।
अपने उत्कृष्ट कार्य से, बने रहोगे उम्रभर, सुंदर कोई चित्र।
ऐसा कोई कर्म करो, सर्व हितैषी भाव से, बन जाओगे इत्र।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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