*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
26/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
चतुराई में बड़े निपुण, उल्लू सीधा कर गये, देख रहे हम मूक।
सीने पर अब मूंग दले, पीड़ा से मतलब नहीं, कहते हैं दो टूक।।
जो भी था देते रहते, कभी नहीं परवाह की, बहुत बड़ी थी चूक।
जब भी उनका जिक्र किया, मेरे अपने लोग सब, मुँह पर देते थूक।।
चतुराई नहीं चलेगी, एक बार तो ठग लिया, अब हैं बड़े सतर्क।
कोई भी उम्मीद नहीं, मुझसे तुम मत पालना, मुझे पड़ा है फर्क।।
तुमसे ये जो भी सीखा, याद रखेंगे उम्र भर,
हो जहरीले कर्क।
सत्य वचन करता हूँ अब, आगे से सब बंद है, कोई भी संपर्क।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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