*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
20/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
मैं ऐसी प्रिय किताब हूँ, पढ़ सकता कोई कभी, पाये अद्भुत ज्ञान।
हर सवाल का जवाब है, आदि अंत संपूर्ण हूँ, समय सुखद अवदान।।
जिसने मुझसे पढ़ा नहीं, ये उनका दुर्भाग्य है, रचे कहाँ प्रतिमान।
उसने जीना सीख लिया, एक बार जिसने पढ़ा, केवल देकर ध्यान।।
जीवन अनबूझ पहेली, जान सका कोई नहीं, सबके भिन्न विचार।
प्रेम जगत का सार कहें, कहीं परिश्रम श्रेष्ठ है, कहीं कर्म आधार।।
ज्ञान बिना सब शून्य कहें, नास्तिक आस्तिक भाव से, सबकी समझ अपार।
किसे सत्य या झूठ कहें, लक्ष्य मंत्र सबके विलग, जीवन अपरंपार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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