समझो साँसो में तेरी सिर्फ मैं हूँ बसाँ..!!
कौन बताए बेवफाई किससे हुई.. ना उसने प्यार कम किया.. ना मैंने इंतजार कम किया..!
इश्क-ऐ-तलब तो लाजमी थी क्योंकि दूरी बरकरार तब भी थी.. और अब भी है..!
उसके दिल में.. जज्बातों में.. मेरा ही नाम,
उसके ख्वाबों-खयालों में रहे मेरे निशान,
उसके रूह तलक अभी-भी मैं ही समाया हूं
एक नजर में समझ आ जाए.. है कितनी मेरी वफा,
कोई कहता रहा बेवफा थी सनम..
कोई कहता रहा मतलबी थी सनम..
किसी ने पूछा नहीं उससे एक दफा.. क्या थी मजबूरी जो लिया यह फैसला,
अब हर कोई देखता रहा उसका हँसता हुआ चेहरा जवाँ,
किसी ने देखा नहीं आंखों में कितने छुपे थे अरमान,
वह मन में रोती रही.. लबों से हंसती रही..
अपनों के सम्मान में घुट-घुट के मरती रही,
जो पसंद ही नहीं उससे सात जन्मों का वादा किया,
और जो पसंद था उसे जमाने की नजरों से तकाज़ा किया
वो घुटती रही.. वो तड़पती रही..
जिन अपनों के खातिर वो मरती रही..
किसी ने एक दफा भी न पूछा कभी
कैसी हो तुम.. कैसा चल रहा है जिंदगी का सफर..
कैसे गुजर रहे हैं दिन.. कैसे रातें डूब रही.. कैसे दिन निकल रहा.. कैसे शाम ढल रहे..
उसका अपनों से इस दुनिया से मन उठ गया..
वह रहना नहीं चाहती है यहां..
जहां उसे एक लड़की-सा भी ना समझा गया,
जिसे प्यार से कभी ना देखा गया..
उससे पूछा ना गया क्या है तेरे ख्वाब..
क्या खुश हो तुम.. क्या चाहती हो तुम..
बहुत रूठ चुकी है वो..कुछ ना सुनती है अब,
बहुत टूट चुकी है वो कुछ ना कहती है अब,
वो शिकायत भी करें तो किससे करें..
ये वही लोग हैं जिन्होंने बिगाड़ा था उसका जहां,
जो जिंदगी में है वह उसके दिल में नहीं..
और जो दिल में है वह जिंदगी में नहीं..!
अच्छा खासा था जीवन अब तन्हा हो चला..
अब कोई अपना रहा.. ना कोई अपनों-सा रहा..
जो भी अपने मिले सब मतलबी से मिले,
सबको था उसके जिस्म से वास्ताँ,
रूह तलक पहुंच पाए ना कोई ऐसा मिला,
यूँ समझो कि उसे अब तक मुझ-सा ना मिला,
वो ढूंढते रहे मुझको ना मिला मेरा जहां..!!
अब जो मिला हूं उसे फिर एक दफा..
फिर वही है कहानी..वही रस्मो-रिवाज,
वही रिश्तो का व्यापार..वही तीखी जुबान..
अब दूर रहने का मैंने उसे वास्ता दे दिया,
अब ना वो चाहिए और ना उसकी वफ़ा चाहिए..
कह दिया उसे.. मेरी नुमाइश ना करें..
मेरी होके ना दे किसी अपने को दग़ा,
ज़ब भी याद करो दिल पे हाथ रखना सनम…
समझो साँसो में तेरी सिर्फ मैं हूँ बसाँ..!!
❤️ Love Ravi ❤️