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12 Oct 2021 · 1 min read

मधुशाला

विधाता छंद आधारित चतुष्पदी-
1222 1222 1222 1222

(1)__

पिये मदहोश मतवाला,गिराये गर्त ये हाला ।
बिगाड़े हाल सुख तन मन,अजब हैरान घरवाला ।
यहाँ लुढ़का वहाँ पुढ़का,समझ आये न पतनाला ।
गया पीकर पियक्कड़ जो, हजम वो ठाँव मधुशाला ॥

(2)__

अशुभ कोई नयन भीगे,डुबो कर चैन विष प्याला।
कुटिल कौशल तरे मद के ,अमंगल रूप घड़ियाला ।
बताना है कहाँ अच्छी,निगोड़ी घूँट विकराला।
दिखाओ क्लेश बिन हैं घर,कहीं निर्दोष मधुशाला ॥

________________अलका गुप्ता ‘भारती’___

Language: Hindi
3 Likes · 240 Views
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