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18 Sep 2019 · 1 min read

मधुर रसमयी जिन्दगी

भरो रस जीवन में
नीरस पसंद नहीं कोए

रसभरी चमचम खाए सब
सूखी खाए न कोए

है ये जीवन दो दिन का मेला
बिताए दिन मधुर रसभरे
बंद हो जाएँ कब ये जीवन
है यही ईश्वर का बड़ा खेला

कड़वे रस को त्यागिये
ये घोले कड़वा जीवन में
मीठा रसपान कराइये सब को
है यही जीवन सार

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
326 Views
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