मधुर मिलन
न उम्र की बराबरी
न जन्म का साथ
हुआ यूं कि अनायास
सुनाऊं,पहली बार की बात
हुआ कुछ मधुर अहसास
हुई जिसमें बात खास
बस जुड़े गए यूं जज़्बात
फिर बिछड़े थे दोनों हाथ
लगी मिलन की पुनः आस
दोस्ती पर ही था विश्वास
उन्हीं बातों की थी सौगात
नहीं तो अनजाने से क्या बिसात..??
होगी जरूर कोई पूर्वजन्म की मुलाकात
तभी जुड़ें, रब की मर्जी से उसके साथ
मिले या ना मिले दोबारा नहीं कोई बात
मधुर मिलन की जेहन में हमारे रहेगी सदा याद।
-सीमा गुप्ता