मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
#दिनांक:-12/11/2023
#शीर्षक:-मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।
अंधेरा छट जाये नभ,जल और धरित्री का,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
स्नेहिल गंगा अहम् की पर्वत शिलाओं से निकल जाए,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
भटकाव ना किसी की जिन्दगी में आए,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
सत्यवादी हवा जल;थल, आकाश में फैल जाए,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।
अमीरों के रोशनदान नहीं, गरीब अपनी कुटिया सजाए ,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
पटाखों से नहीं, राम-आगमन की खुशी में दीप झिलमिलाए,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
स्वास्थ्य के लिए हो सुदृढ़, वायु प्रदूषण ना फैलाए,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
कोना-कोना घर-आंगन प्रेम रस की मिठास से
सजाए,
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।
आओ इस बार दिवाली कुछ ऐसे मनाएं
हम हर्षित हों,तुम भी हर्षित रहो और ये जग हरषाएं ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई