मधुमास
अहा! मधुमास……..
सुबह दिनकर का आगमन
करती धूप आनन्दित मन
मद्धम-मद्धम,चटक-चटक
हवा मे जाती भटक-भटक
चढते दिन का ताप तेज
देता मष्तिष्क को संदेश
है, मिलन की सुन्दर आस
अहा!मधुमास…………१
प्रणय सा निवेदन
प्रकृति का अभिनन्दन
धरा गगन का हो रहा
दूर कहीं पर आलिंगन
करते विहंग कलरव
हो मंदिर सा जनरव
गुंजित होता है आकाश
अहा! मधुमास ………२
हरियाली करती धरा शृंगार
पीली तंतुक कांचन हार
मंद पवन सुरभि को लेकर
देती श्वासों को उपहार
कह रही रजनी अंधेरी
अब मिलन में कैसी देरी
है इंदु का शीतल प्रकाश
अहा!मधुमास,….३