मधुमास {मत्तगयंद सवैया छंद}
मधुमास {मत्तगयंद सवैया छंद}
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झूम चली मधुमास लिये यह गंध भरी पछुवा मतवाली,
रंग भरे बहु फूल खिले गुलजार हुई तरु की हर डाली,
किन्तु उदास रहे मन आज वियोग सहे चुभती यह बाली,
साजन छोड़ गये परदेश लगे सब सून हुआ घर खाली।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- ३१/०१/२०२०