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1 Mar 2017 · 1 min read

मद्धम-मद्धम……

हलचल सी हुई कुच्छ मद्धम-२
आहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
झरोखों से ज़रा झाँक के देखूँ
दस्तक सी हुई कुच्छ मद्धम-२
शायद कहीं से चाँद है निकला
रौशनी सी हुई कुच्छ मद्धम-२
बीते समय के वो गाने पुराने
गुनगुनाहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
कहाँ यादें होतीं हैं दफ़्न
सरसराहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
सामने जब भी चेहरा वो आया
ख़लिश सी हुई कुच्छ मद्धम-२
सपनों में कभी आ जाते हैं जब भी
धड़कन सी हुई कुच्छ मद्धम-२
हलचल सी हुई कुच्छ मद्धम-२
आहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
-राजेश्वर

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