Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2017 · 1 min read

मद्धम-मद्धम……

हलचल सी हुई कुच्छ मद्धम-२
आहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
झरोखों से ज़रा झाँक के देखूँ
दस्तक सी हुई कुच्छ मद्धम-२
शायद कहीं से चाँद है निकला
रौशनी सी हुई कुच्छ मद्धम-२
बीते समय के वो गाने पुराने
गुनगुनाहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
कहाँ यादें होतीं हैं दफ़्न
सरसराहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
सामने जब भी चेहरा वो आया
ख़लिश सी हुई कुच्छ मद्धम-२
सपनों में कभी आ जाते हैं जब भी
धड़कन सी हुई कुच्छ मद्धम-२
हलचल सी हुई कुच्छ मद्धम-२
आहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२
-राजेश्वर

609 Views
Books from Dr.Rajeshwar Singh
View all

You may also like these posts

जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
गर्म हवाएं चल रही, सूरज उगले आग।।
गर्म हवाएं चल रही, सूरज उगले आग।।
Manoj Mahato
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
मुहब्बत भी करके मिला क्या
मुहब्बत भी करके मिला क्या
डी. के. निवातिया
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
4454.*पूर्णिका*
4454.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
विनम्रता
विनम्रता
Rambali Mishra
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
मिट जाता शमशान में,
मिट जाता शमशान में,
sushil sarna
अपने प्रयासों को
अपने प्रयासों को
Dr fauzia Naseem shad
गंगा मैया
गंगा मैया
Kumud Srivastava
वो जो मुझको रुलाए बैठा है
वो जो मुझको रुलाए बैठा है
काजू निषाद
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
Ranjeet kumar patre
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
shabina. Naaz
जीवन बड़ा अनमोल है यह सत्य मानिए,
जीवन बड़ा अनमोल है यह सत्य मानिए,
Anamika Tiwari 'annpurna '
नई सोच नया विचार
नई सोच नया विचार
कृष्णकांत गुर्जर
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हमे अपने रिश्तों से इतनी उम्मीद क्यों होती हैं कि सामने वाला
हमे अपने रिश्तों से इतनी उम्मीद क्यों होती हैं कि सामने वाला
पूर्वार्थ
मन
मन
मनोज कर्ण
*शाश्वत सत्य*
*शाश्वत सत्य*
Shashank Mishra
भावनाओं का प्रबल होता मधुर आधार।
भावनाओं का प्रबल होता मधुर आधार।
surenderpal vaidya
এটাই সফলতা
এটাই সফলতা
Otteri Selvakumar
पीठ पर लगे घाव पर, मरहम न लगाया मैंने।
पीठ पर लगे घाव पर, मरहम न लगाया मैंने।
श्याम सांवरा
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
Ashwini sharma
🙅सीधी-सपाट🙅
🙅सीधी-सपाट🙅
*प्रणय*
गोपियों का विरह– प्रेम गीत
गोपियों का विरह– प्रेम गीत
Abhishek Soni
जब तक आप जीवन को स्थिरता से नहीं जानेंगे तब तक आपको जीवन में
जब तक आप जीवन को स्थिरता से नहीं जानेंगे तब तक आपको जीवन में
Ravikesh Jha
Loading...