मदिरा सवैया
मदिरा सवैया
देखत रोचक काव्य जला करता अति निर्बल मानव है।
काव्य रसायन तिक्त लगे घटिया लगता अति दानव है।
दंभ भराव सदा घट में विष कुम्भ बना नित दूषित है।
राक्षस वेश अपावन धारण वृत्ति कुतर्क कुपोषित है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।