Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2020 · 1 min read

मदिरा सवैया

राम चले तब ज्ञात हुआ धनुआ पर डोर चढावत है ।
राघव की मन मोहक सूरत देख सिया शरमावत है ।
एक हुए दुइ नैन वहां तब चैन कहां तन पावत है ।
देख सभी यह दृश्य अजायब गीत लुभावन गावत है ।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी मायूस सी
मेरी मायूस सी
Dr fauzia Naseem shad
"" *महात्मा गाँधी* ""
सुनीलानंद महंत
सांस के बारे में
सांस के बारे में
Otteri Selvakumar
चाँद शीतलता खोज रहा है🙏
चाँद शीतलता खोज रहा है🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शरद पूर्णिमा का चांद
शरद पूर्णिमा का चांद
Mukesh Kumar Sonkar
तुम्हें भुलाने का सामर्थ्य नहीं है मुझमें
तुम्हें भुलाने का सामर्थ्य नहीं है मुझमें
Keshav kishor Kumar
Take responsibility
Take responsibility
पूर्वार्थ
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
Phool gufran
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
LOVE
LOVE
SURYA PRAKASH SHARMA
माथे की बिंदिया
माथे की बिंदिया
Pankaj Bindas
*सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)*
*सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)*
Ravi Prakash
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
नेताम आर सी
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुंडलिया - वर्षा
कुंडलिया - वर्षा
sushil sarna
#सन्डे_इज_फण्डे
#सन्डे_इज_फण्डे
*प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
इश्क का बाजार
इश्क का बाजार
Suraj Mehra
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बाल कविता : रेल
बाल कविता : रेल
Rajesh Kumar Arjun
होंठ को छू लेता है सबसे पहले कुल्हड़
होंठ को छू लेता है सबसे पहले कुल्हड़
सिद्धार्थ गोरखपुरी
" सीमाएँ "
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ ना लाया
कुछ ना लाया
भरत कुमार सोलंकी
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3301.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3301.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
यह ज़िंदगी गुज़र गई
यह ज़िंदगी गुज़र गई
Manju Saxena
Loading...