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29 Jan 2023 · 1 min read

मदारीवाला

सिंदूरी ढलता हुआ मार्तंड
थका हरा सोने जा रहा
चिड़ियों की चहचही से गूंज उठा कलनाद
उधर खेतों से खेतिहर भी आ रहा
एक अजब सी पसरी शांति
कुछ ही देर में गुमशुम सी
हुई काली घनेरी विभवारी
चौकठ पे प्रहरी दीपक
मार रहा अंधेरे का दीमक
दादी की शुरू कहानी
एक था राजा एक थी रानी
घर घर में जले चूल्हे
आंगन में झांकती हल्की अजोरिया
टन टन बजती बच्चों की कटोरिया
रोटियां सेका रहीं तावे पर
सब बैठे फिर दावत के बुलावे पर
भर पेट खूब खाकर
सोने चले लात पसारकर
पता न चला कब
भानु ने दीप्ति बिखेरा
नभ में जलदों ने कई
नव आकृति उकेरा
फिर वही पक्षियों की चहचहाट
शीतल वायु के जागरण की आहट
सहसा उठा देखा दिवाकर का उजाला
फिर तमाशा दिखाने चल पड़ा मदारीवाला।

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 188 Views
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