मत होना नाराज
सूरज भी छिप गया ले बादलो की ओट,
छोटे छोटे नन्हे मुन्ने भी दुबक रहे पहन कोट,
ठंडी ठंडी चल रही देखो यह पवन,
रोम रोम है खड़ा कांप रहा यह तन,
अभी आया नही पौष मास,
अभी से जमने लगी हर सांस,
पत्ते भी देखो कितने सहम गये,
सुबह सुबह चौराहे सूने हो गये,
पेपर वाला देखो कितना गया ठिठुर,
मत होना नाराज अगर हो जाये देर,
चला सायकिल वह घर घर जाता,
कर्म कर अपने परिवार का पालन करता,
तुमको देता संसार की खबर ,
देख लो आस पड़ोस अंदर बाहर,
।।।जेपीएल।।।