मत रोको उसको
सीमायें ना बाँधो आगे बढने दो
दायरों को तोड़ने से मत रोको उसको …
सती जौहर की प्रथा बहुत निभाई है
अब साहस से मुक़ाबला करने से मत रोको उसको …
मुद्दतो से ख़्वाब सजाती आई है
सपनों को साकार करने से मत रोको उसको …
चीख़ें सालों तक इसकी गुमनाम रही है
अब आवाज़ उठाने से मत रोको उसको …
मर्यादा के नाम हर बार इसकी बलि चढ़ाई है
अब खुली हवा में उड़ने से मत रोको उसको …
तोरन बन रिश्ते नाते बहुत सजाए हैं
अब बेबाक़ महकता फ़ूल बनने से मत रोको उसको …
देवी बना कर बहुत पूजी गई है
अब औरत बन कर जीने से मत रोको उसको…