मत मान हार
मत मान हार
तू जरूर जीतेगा,
अपने मुरझाए बगीचे को
तू ही तो सींचेगा ।
माना किस्मत की मार से
तू कमजोर हो गया,
इन कठिन परिस्थितियों में
तेरा धीरज बिखर गया ।
इन विषम परिस्थितियों में
मित्र-बंधु भी दूर खड़े हैं,
सभी स्वार्थी लोग अपने
मतलब मे लिप्त पड़े हैं ।
इन स्वार्थियों के जंजाल से
तू खुद को खींचेगा,
मत मान हार
तू जरूर जीतेगा।
कहते हैं कुछ लोग अक्सर
कि दुनिया दोस्ती से चलती है,
पर अब आभास हुआ है कि
दोस्ती भी मतलब के लिए होती है।
मित्र-शत्रु की पहचान करना
तू इनसे ही सीखेगा,
अपने जीवन को हर्ष विनोद से
अब तू ही तो सींचेगा ।
मत मान हार
तू जरूर जीतेगा,
अपने मुरझाए बगीचे को
तू ही तो सींचेगा ।