मत भूलो देशवासियों.!
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उन माताओं को,
उन बहनों को,
उन वीर कर्णधारों को
जिन्हें प्राण गॅंवाने पड़े–
भारत की आजादी के लिए।
अपनी मातृभूमि के लिए।।
मत भूलो देशवासियों!
उन शहीदों ने, लड़ी थी लड़ाई–
गुलाम भारत की आजादी की।
और चुनौती दी, उन अंग्रेजों को–
जंजीरें तोड़ी थी, भारत की गुलामी की।।
मत भूलो देशवासियों!
उन बलिदानों ने ही,
जीने की राहें दी हमको।
उन अन्धेरों से निकाला
और अखंड-ज्योति दी हमको।।
और कुछ याद इने भी करलो–
नेहरू ने, पढ़ाया शांति का पाठ हमको।
और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने–
दी सत्य व अहिंसा की सीख हमको।।
और मत भूलो देशवासियों!
इन माॅं और बेटे का वो बलिदान।
जिनकी निर्मम हत्या की थी अपनों ने–
जिस पर रोया था सारा हिन्दुस्तान।।
मत भूलो देशवासियों!
इन्होंने ही कायम रखी थी,
धर्म-निरपेक्षता भारत की।
और सारे जहां की नजर में
एक साख बनाई थी भारत की।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल (उज्जैन)।
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