मत बन हरीफ,दोस्त!
मत बन हरीफ,दोस्त वास्ता ये हमारा है
मौजों ने एक होके,साहिल को सँवारा है
मीलों हमें चलना समन्दर तलक अभी
नाजुक कदमों को बस रब का सहारा है
दिल ये बच्चा है चाँद का तलबगार,
वरना हमने तो सूरज भी निहारा है
औरों के हथोड़ों में वो दम कहाँ अभी
अपने ही छिपे खंजरों ने टूट के मारा है
वक्त रहते ही अगर संभल जाये हकीकत
ख्वाबों में जन्नत को फिर किसने पुकारा है
✍हेमा तिवारी भट्ट