मत पुकारो,,,,,,,,,गीत
मत पुकारो तुम मुझे
मैं हूँ दीवाना तुम्हारा।
झूठ को भी सच समझ
दौड़ कर आ जाऊंगा
तुम हो जलती शमा
मैं हूँ परवाना तुम्हारा।
मत पुकारो,,,,,,
माना कि गुजरी बात है
पर अभी तक साथ है
चाह कर भूल न जाये
ऐसा अफसाना हमारा।
मत पुकारो,,,,,,
विहंसती नदियाके धारे
अपनी धुन में चलते सारे
रुकते नहीं छूटते नहीं
साथ चलता है किनारा।
मत पुकारो,,,,,,,,,.।