मत चलो भीड़ संग
न करो कभी
भीड़ का अनुसरण
करो हमेशा
सत्य का अनुकरण
होती जब
भीड़ बेकाबू
होता जन
धन का नाश
हैं नहीँ वो देशभक्त
बल्कि होते कई
विध्वंसक
चेहरे बेनक़ाब
मत चलो
कभी भेड़चाल
रखो अपना
विवेक साथ
बहकावे में
करते जो काम
नहीं आता
कुछ उनके हाथ
होते बदनाम
करते खराब
अपने माता पिता
का नाम
रहो स्कूल कालेज में
अनुशासन से
जाते है पढ़ने
भविष्य बनाने
गर रहे भीड़ संग
बिगड़ जायेंगे
जीवन के रंग
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल