मत का दान नहीं मतदान
इस समय त्योहारों का मौसम चल रहा है
पर साथ ही लोकतंत्र का भी
चुनावी त्योहार मनाया जा रहा है
जिसमें हम सब बड़े उत्साह से
अपने मत का दान कर रह हैं
बस यहीं तो गड़बड़ कर रहे हैं,
लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार का
खुली आंखों से मखौल उड़ा रहे हैं।
कभी सोचा भी नहीं कि
हम अपने मत का दान क्यों कर रहे हैं?
मतदान की औपचारिकता क्यों निभा रहे हैं?
देश के जिम्मेदार नागरिकों
मेरी अपील ध्यान से सुनिए,
बड़े दान दाता मत बनिए
लोकतंत्र के दुश्मन मत बनिए,
लोकतंत्र को मजबूत करिए।
तभी हमारे आपके देश प्रदेश का विकास होगा
वैश्विक पटल पर देश का मान, सम्मान बढ़ेगा
और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
जब देश की तकदीर चमकेगी
तब ही हमारा और हमारे परिवार
समाज, राष्ट्र का कल्याण होगा।
दान देने के अनेक अवसर हमारे सामने
हर समय आते ही रहते हैं,
दोनों हाथों से जी भरकर दान कीजिए
पर लोकतंत्र की मजबूती के लिए
अपने मत का दान मत कीजिए
खूब सोच विचार और मनन चिंतन कीजिए
और मत दान के बजाय मतदान कीजिए
लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था को
पहले मजबूत कीजिए।
जिम्मेदार राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक
होने का ईमानदारी से सबूत दीजिए,
मत के दान का दान करके दानवीर मत बनिए
पहले अपने को जिम्मेदार होने का
पर्याय तो बनिए और मतदान कीजिए।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश