“मत कर तू पैसा पैसा”
“मत कर तू पैसा पैसा”
कैंसर से ग्रस्त जब हुई लेखिका
किर्जिदा रॉड्रिग्ज खूब चिल्लाई
संदेश पढ़ो तुम सारे मेरा
लिखते हुए आज आंखे भर आई
क्यों पैसा- पैसा करे तू इंसान
पैसे से कैसे तू पेट भरेगा
मधुर पल गुजार ले परिवार संग
कम से कम शांति से तो मरेगा
महंगी से महंगी कार खड़ी की
गैराज में अपने मैंने खुश होकर
व्हीलचेयर दे रही अब मुझे सहारा
आज मै बताऊं रो – रोकर
डिजाईनदार कपड़े भरे पड़े
मोती जड़ित मेरी अलमारी में
अनगिनत वस्तुएं कीमती मेरे पास
कंजूसी नहीं की जूतों की खरीददारी में
आज अस्पताल का दिया हुआ
छोटा सा कपड़ा लपेटना पड़ेगा
महंगे कपड़ों का क्या करूं अब मैं
सफेद चादर में शव ढकना पड़ेगा
बैंक खातों में भरा पड़ा
अरबों का खजाना छोड़ना पड़ेगा
गोली दवाई अब देंगी आराम
खाली हाथ धरती से जाना पड़ेगा
शव जाएगा मेरा भी शमशान में
मेरे शरीर की भी राख ही बनेगी
जीते जी हाय पैसा हाय पैसा किया
मरने के बाद दुनिया दिवंगत ही कहेगी
महल जैसा बनाया मकान मैंने
बीमारी में लेकिन वह काम नहीं देगा
बिस्तर रखा है लोहे का अस्पताल में
कमजोर शरीर को यही अब सहारा देगा
मखमली गद्दे रंग बिरंगों ने
मन को बहुत लुभाया था
स्प्रिंग लगे सोफों पर खुद को
मैंने भी आरामदायक पाया था
फाइव स्टार रेस्तरां में पार्टी की
देश विदेश में मैंने भ्रमण भी किया
पैसा कमाया बहुतायत में मैंने
सुकून लेकिन परिवारिक पलों ने ही दिया
ऑटोग्राफ दिया मैंने अनगिनत लोगों को
आज दवाई का पर्चा ऑटोग्राफ बन गया
सुनहरी यादों से ही थोड़ा चैन मिलेगा
पैसे की लत से तो मरना हराम हो गया
सात कर्मचारी रखकर मैंने
बालों की सार संभाल करवाई
आज सिर पर एक भी बाल नहीं
कैंसर से कैसे अब मैं करूं लड़ाई
पैसे से खरीदा ऐसो आराम
निजी विमान मेरा उड़न खटोला था
जहां मन किया वहां उड़ी इसमें
स्वभाव मेरा भी मस्त मौला था
गैराज में पड़े जंग खाएंगे अब
विमान और लग्जरी कार सभी
सहारा मांगू अस्पताल कर्मचारियों से
जब चलने की मैं सोचूं कभी
लजीज व्यंजन बहुतायत में फैले लेकिन
गोली और खारी दवाई मेरा आहार है
टूट चुकी हूं अब मैं बीमारी से
चिड़चिड़ा हुआ मेरा व्यवहार है
कार, कपड़े, विमान, फर्नीचर
पैसा और महल नहीं काम का
मीनू कहे मृत्यु ही सत्यता है
पारिवारिक क्षण ही है नाम आराम का ।
डॉ मीनू पूनिया
Dr.Meenu Poonia