“मतलबी “
बिना स्वार्थ न पूछे कोई
बिन काम के कोई न यार
मतलब का हर इंसा बन्धु
मतलबी है सारा संसार।
आज समय वो है जग में।
मतलब की साथी संतान
मात पिता को देती है वह
धन से ही मान-सम्मान।
मतलबी दुनिया में अब तो
परहित से कोई न सरोकार
मतलब का हर इंसा बन्धु
मतलबी है सारा संसार।
चहुँओर है मतलब परस्ती
धूर्त लम्पटों का है साम्राज्य
ईमान एक कोने में सिसकता
झूठ और दंभ का फैला राज्य
पग-पग पर स्वार्थ चालाकी
छल कपट का है गर्म बाज़ार
मतलब का हर इंसा बन्धु
मतलबी है सारा संसार।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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