मतदान के नाम
जरा सा वक्त़ फुरसत का सुनो कुरबान कर देना
दबाकर के बटन गणतंत्र का सम्मान कर देना
तुम्हें सौगंध है इस देश की मिट्टी के कण-कण की
वतन के वास्ते बस वोट अपना दान कर देना
लगी अँगुली पे हो स्याही अमिट तब खीचकर सेल्फी
लुटेरों की है जो मंशा उसे बेजान कर देना
रहें जब जात मजहब के नुमाइंदे मोहब्बत से
बदलकर नाम इस दुनिया का हिन्दुस्तान कर देना
कभी भी धूप बारिश का बहाना मारकर ‘संजय’
शहीदों की शहादत का न तुम अपमान कर देना